औरो को खुश करते करते खुद्द खुश रहना भूल गए ।
दुसरो की पसंद को अपनी पसंद बनाया हमने।
उनकी चाहत को अपनी चाहत समझा हमने ।
औरो को खुश करते करते खुद्द खुश रहना भूल गए।।
दिखावे की इतनी आदत लगा ली खुद को ।
की असल दिखते कैसे है, ये भी समझना भूल गए ।
गाड़ी बंगला महँगी चीज़े खरीदी बहोत, सोच इससे खुशी लौट आएगी।
पर हम भूल गए ये सब किया भी तो दुसरो को दिखानेके लिए, खुद के लिए कुछ तो करना भूल गए ।।
ख्वाइशें बहोत सारी बना ली हमने।
और उन्हें पूरा करने में जुट गए।
हसिल किया भी जिंदगी में बहोत ।
बटोरी बहोत वाहवाहियां, पर खुद की वाहवाहियां पे इत्तरांना हम भूल गए।
औरो को खुश करते करते खुद्द खुश रहना भूल गए ।।
बहोत घूमे दुनिया मे की कही तो सुकून मिले।
बनाया दोस्त हज़ारो, सोचा के कोई तो हमदर्द मिले।
देखा खुद को औरो के नज़रो से लाखों बार।
लेकिन खुद की नज़र से देखना भूल गए।
औरो को खुश करते करते खुद खुश रहना भूल गए ।।
खुश रहना ऐ दोस्त, जिंदगी अभी भी बाकी है ।
क्या पता कल हो न हो।
जो है, समझ लेना वही है हमारा ।
लाख चाहो फिर भी जिंदगी न मिलेगी दोबारा ।
जिंदगी न मिलेगी दोबारा ।।
